मिर्च के पौधों का अचानक मुरझाकर सूखना/ मिर्च के उकठा रोग की रोकथाम कैसे करें How to prevent sudden wilting of chilli plants

मिर्च के पौधों का अचानक मुरझाकर सूखना, मिर्च के उकठा रोग की रोकथाम, बोर्डों मिक्चर बनाने की विधि, मिर्च की फसल में उकठा रोग से बचाव एवं उपचार,
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 मिर्च के पौधों का अचानक मुरझाकर सूखना/ मिर्च के उकठा रोग की रोकथाम 

मिर्च मसाले की महत्वपूर्ण फसल है। किसानों को मसाले वाली फसलों के दाम भी अन्य फसलों के मूल्य से अधिक होतें हैं। मसाले वाली फसलों को आसानी से भंडारित करके किसान सही मूल्य मिलने पर बाजार में बेच सकता है। अतः मिर्च उत्पादकों को फसल की सुरक्षा पर विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। इस लेख में हम मिर्च के पौधों का अचानक मुरझाकर पौधे का सूख जाने की समस्या को व इस समस्या की रोकथाम  कैसे करें को जानेगे।

मिर्च की फसल में पौधों का अचानक मुरझाकर सूखना व इस रोग के प्रभाव से खड़ी फसल के पौधों की पत्तियां अचानक नीचे की ओर झुक जाती हैं और पीली पड़कर सूख जाती हैं और अन्त में पूरा पौधा पीला पड़कर मर जाता है । यदि समय रहते उपचार नहीं किया गया तो पूरी फसल सूख कर नष्ट हो जाती है। यह रोग फफूंद (फंगस) के द्वारा होता है जिसे मिर्च का उगठा रोग कहते हैं । मिर्च के उगठा रोग को फ्यूजेरियम विल्ट के नाम से भी जाना जाता है। 

मिर्च के अतिरिक्त टमाटर, बैंगन, चना, अरहर, मटर, सेम, मसूर, कद्दू, आदि फसलें भी इस रोग से प्रभावित होती हैं।


मिर्च की फसल में उकठा रोग से बचाव एवं उपचार-

1- खेत की तैयारी करते समय पहली जुताई गहरी करके जिससे मिटटी में हानिकारक फफूंद तेज धूप से नष्ट हो जाय। अन्तिम जुताई करते समय खेत में 3 से 4 किलो ग्राम विना बुझा चूना प्रति नाली की दर से मिट्टी में मिला देना चाहिए।

2- पिछले वर्ष जिस खेत में मिर्च की फसल लगाई हो उस खेत में फिर से मिर्च पौधों का रोपण नही करना चाहिए।

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3 - फफूंदी जनित बीमारियों की रोकथाम हेतु खेत की तैयारी के समय ट्रायकोडर्मा से मृदा का उपचार करें। एक किलोग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर को 25 किलोग्राम कम्पोस्ट (गोबर की सड़ी खाद) में मिलाकर एक सप्ताह तक छायादार स्थान पर रखकर उसे गीले बोरे से ढँकें ताकि ट्राइकोडर्मा के बीजाणु अंकुरित हो जाएँ। इस कम्पोस्ट को एक एकड़( 20 नाली) खेत में फैलाकर मिट्टी में मिला दें साथ ही एक नाली में 40 किलो ग्राम की दर से नीम की खली का भी प्रयोग करना चाहिए।

4- जल निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए।

5- बोर्डो मिक्चर घोल से रोग ग्रसित पौधौ की जड़ों को तर कर उपचारित करें। बोर्डों मिक्चर कृषक स्वयं बना सकते हैं। 

बोर्डों मिक्चर बनाने की विधि-

80 ग्राम नीला थोथा (कापर सल्फेट) जिसे परचून / पन्सारी की दुकान से आसानी से खरीदा जा सकता है तथा 80 ग्राम अनबुझा चूना की निर्धारित मात्रा अलग-अलग 5 - 5 लीटर  पानी में घोलें। इन दोनों घोलों को एक साथ उडेलते हुए तीसरे बर्तन में मिश्रित करें। यही मिश्रण बोडों मिश्रण है।

 मिश्रण को बनाने के लिए कांच ,  मिट्टी अथवा प्लास्टिक के बर्तनों का ही प्रयोग करें, धातु से बने बर्तन का प्रयोग न करें ताकि नीला थोथा में विद्यमान तांबा धातु के साथ बर्तन की धातु की कोई प्रतिक्रया न हो।

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बोर्डों मिश्रण तैयार होने के बाद मिश्रण की अम्लीयता का परीक्षण करना आवश्यक है। अम्लीय मिश्रण में तांबा धातु के स्वतंत्र कण पौधों के लिए घातक होते हैं। अम्लता के परीक्षण हेतु बोर्डों मिश्रण में एक साफ और तेजधार वाला चाकू समतल अवस्था में कुछ समय के लिए डूबाकर रखना चाहिए और फिर मिश्रण से चाकू को निकालने पर  यदि चाकू की धार के ऊपर लाल भूरे रंग की कोई तह जमी दिखाई दे तो  मिश्रण अम्लीय हैं, इस मिश्रण में और चूना मिलाना चाहिए। बोर्डों मिश्रण हमेशा ताजा स्थिति में ही प्रयोग करना चाहिए।

6- मई- जून माह में वातावरण में अधिक नमी होने से यह फफूंद पनपती है। जिन क्षेत्रों में उगठा रोग का प्रकोप पूर्व समय से ही ज्यादा होता रहा हो उन क्षेत्रों में जुलाई माह के अंत में मिर्च के पौध का रोपण करना चाहिए। 

7- फसल में उगठा रोग आने पर रोग ग्रसित सूखे पौधौ को उखाड़ कर नष्ट करें।

8-  कापर आक्सी क्लोराइड (ब्लाइटाक्स) एक चम्मच दवा दो लीटर पानी में या  कार्बन्डाजिम (वैबस्टीन) एक चम्मच दवा तीन लिटर पानी में घोल बनाकर खड़ी फसल के पौधों की जड़ों को तर करें। पांच दिनों के अन्तराल पर फिर किसी एक दवा का प्रयोग करें एक ही दवा बार बार न प्रयोग करें।

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लेखक- डा० राजेंद्र कुकसाल।

मो० - 9456590999



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