सफलता की कहानी - कीवी फल उत्पादक प्रगतिशील किसान श्री महेन्द्रराज भट्ट

सफलता की कहानी - कीवी फल उत्पादक प्रगति शील किसान श्री महेन्द्रराज भट्ट,
खबर शेयर करें:

 सफलता की कहानी - कीवी फल उत्पादक प्रगतिशील किसान श्री महेन्द्रराज भट्ट

पारंपरिक खेती में कम होते मुनाफे को देखते हुए किसान अब नई फसलों की तरफ रूख कर रहे हैं। इन फसलों से किसान बढ़िया मुनाफा भी कमा रहे हैं।  उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग की पहचान धीरे धीरे कीवी उत्पादक जनपद के रूप में बन रही है जो कि सुखद है।

यह भी पढ़े- बीजू पौधे भी कश्मीर से तो कैसे बनेगा आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड भौगोलिक रूप से विषम परिस्थिति वाला पर्वतीय क्षेत्र वाला राज्य है। पर्वतीय क्षेत्र में रोजगार के अवसर पर्यटन के अलावा कृषि-उद्यान, सब्जी उत्पादन, पशुपालन आदि को अपनी आजीविका का  साधन नहीं बनाया जा सकता है। यह सोचने वालों को आइना दिखाने वाले प्रगतिशील किसान की सफलता और प्रेरणादायक कार्यों से उन असमंजसता के कारण  रोजगार के साधनों की खोज और अपनी जीविकोपार्जन के साधन पाने की लालसा रखने में असफल हो रहे लोगों को इस सफलता की कहानी से सीखना चाहिए की यदि प्रोत्साहन दिया जाए चाहे वह परिवार की तरफ से हो या सरकार की तरफ से तो अपने देश और समाज के लिए किया जाने वाला कार्य अन्य के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है । अगर इंसान के मन में कुछ करने का जज़्बा और लग्न हो तो छोटे-छोटे प्रयास बड़ी सफलता का आधार बन जाते हैं। 

सेब में जड़ सड़न रोग का प्रबंधन व उपचार कैसे करें कि विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें।

जनपद रुद्रप्रयाग के विकासखंड जखोली मुख्यालय के पास में कपनिया गावं की सातोली तोक जो कि सड़क मार्ग से 3 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच में कीवी फल उत्पादन के साथ साथ सेब, आड़ू, खुबानी, पुलम, भोटिया बादाम, बड़ी इलायची, आलू , मटर, गोभी, मूली  व बेल वाली सब्जियों का उत्पादन करने वाले प्रगतिशील किसान श्री महेंद्र राज भट्ट से जानते हैं उनकी सफलता की कहानी -

 
 श्री महेंद्र राज भट्ट बताते हैं कि मैने अपनी पैतृक जमीन जिसपर मेरे पिताजी स्व0 श्री राजेन्द्र प्रसाद भट्ट के द्वारा काश्तकारी की गई उसे छोड़ा नहीं जबकि इस स्थान पर सबसे बड़ी समस्या सड़क मार्ग से दूर होने और अकेले परिवार का यहां रहना किसी भी तरह से साहसिक कदम नही अपितु दुःसाहसिक कदम कहना अतिश्योक्ति नही होगी और इस निर्जन घने जंगल के बीच मे रहकर खेती कार्य को करना कहीं न कहीं दुसाहसक कदम है। यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में योजनाएं माफियाओं के चुंगल में। श्री महेंद्र राज भट्ट बताते हैं कि मेरे बच्चे छोटे थे तो उनकी पढ़ाई लिखाई के लिए जखोली बाजार में रहकर बच्चो की पढ़ाई पूरी करवाई जब बच्चे पढ़ने को बाहर गए तो में ओर मेरी धर्मपत्नी यहां आकर खेती बाड़ी के काम में लग गए। आज मेरी सफलता में मेरी धर्मपत्नी का सबसे बड़ा हाथ है जिन्होंने भौतिक सुखों की लालसा छोड़कर मेरे साथ इस निर्जन जंगल में रहकर मेरा साथ दिया ओर शहरों की तरफ रुख न करके यही रहने की सोची। 

    श्री भटट जी आगे बताते हैं कि मेने सबसे पहले सेब का बगीचा लगाया जिसमें आज लगभग 800 से अधिक पौधे हैं साथ ही बागवानी के लिए पौध तैयार की जो कि विभागीय माध्यमो से पहले बिक जाती थी बाद में लाइसेंस की प्रक्रिया होने से में यह कार्य नही कर पाया जिसके कारण मुझे लगभग 500 से 600 पौध माल्टा की पौध को फेंकना पड़ा और मुझे आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ा था। जिसके कारण मेने पौधशाला का काम बंद किया।

      आगे बताते हैं की पहाड़ में बीज की समस्या होती है इसके लिए विभाग को चाहिए की यहां पर अलग अलग क्षेत्र जो कि समुद्र तल से 900 मीटर से 3,690 मीटर से अधिक ऊंचाई तक का वातावरण रुद्रप्रयाग जनपद में है का उपयोग बीजों को तैयार करने के लिए किसानों को प्रेरित करके यहां की को सुधारा जा सकता है। इस और सरकार को ध्यान देना होगा कि जनपद रुद्रप्रयाग जैविक जनपद है और अभी भी विभाग हाइब्रिड बीज को दे रहा है जो जैविक खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। यहां के लिए बीजों की व्यवस्था यही तैयार करके की जाए। 

      कीवी खाने के कई फायदे होते हैं। कीवी के अलावा इसका बीज भी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। कीवी में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन के, विटामिन सी और विटामिन बी सिक्स जैसे विटामिन के अलावा जिंक, मैग्नीशियम और फास्फोरस भी पाया जाता है। कीवी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर बीमारियों से बचाने में मदद कर सकता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को धूप और प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बचाने में कारगर हो सकते हैं। 

      श्री महेंद्रराज भट्ट बताते हैं कि पिछले वर्ष 15 कुंतल कीवी का उत्पादन हुआ था जिसमें कि 10 कुंतल की बिक्री हुई व् 3 कुंतल तक मेने अपने सगे संबंधियों को दिया व् 2 कुंतल कीवी बाजार न कारण खराब हुई। बाजार बारे में पूछने हैं कि घर से प्रत्येक दिन में कीवी फल तोड़कर बाजार ले जाता हूँ और 6 से 10 किलोग्राम कीवी फल बिक जाते हैं। बाहरी बाजार या बड़े बाजार में ले जाने पर ओने पोन दामों में समय की कमी के कारण बेचना पड़ता है।

      सब्जी उत्पादन होने पर घर से सड़क तक लाने में किराया बहुत हो जाता है क्योंकि सड़क मार्ग से हमारा घर 3 किलोमीटर दूर है तो ढुलान की कीमत अधिक हो जाती है जिससे की लागत बढ़ जाती है और सब्जी उत्पादन घाटे का सौदा साबित होता है। अभी वर्तमान में 200 तक कीवी की पौध 2 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक कि है, लगभग 35000 से 40000 तक बड़ी इलायची की पौध हैं, सेब के 400 पौध, माल्टा, नीबू, अखटोट, पुलम, आड़ू , खुबानी व भोटिया बादाम के भी पेड़ बगीचे में हैं जो कि आय अर्जन का साधन बनेंगे। 

      खेती किसानी की संभावनाओं पर बात करने पर बताया कि यहां पर बेमौसमी सब्जी उत्पादन और फल उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं फ़ूड प्रोसेसिंग या भंडारण की सुविधा हो तो किसान जो खेती से विमुख हो रहें हैं वह दुबारा खेती कार्य में ध्यान देंगे। रोजगार के लिए बाहरी प्रदेश को जाने वाले युवाओं को अपनी खेती पर ध्यान देना होगा यह सतत रोजगार का साधन है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अच्छा रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है जिससे उन्हें रोजगार की तलाश न करनी पड़े और घर पर ही अपने संसाधन से आय अर्जन कर सकें इससे पहाड़ भी समृद्ध होंगे और पलायन भी रुकेगा। 

 पाठको से अनुरोध है की आपको यह पोस्ट कैसे लगी अपने अमूल्य सुझाव कमेंट बॉक्स में हमारे उत्साहवर्धन के लिए अवश्य दें। सोशियल मिडिया फेसबुक पेज अनंत हिमालय पर सभी सब्जी उत्पादन व अन्य रोचक जानकारियों को आप पढ़ सकते हैं। 

   आपको समय समय पर उत्तराखंड के परिवेश में उगाई जाने वाली सब्जियों व अन्य पर्यटन स्थलों के साथ साथ समसामयिक जानकारी मिलती रहे के लिए पेज को फॉलो अवश्य कीजियेगा।
खबर पर प्रतिक्रिया दें 👇
खबर शेयर करें: