विनाशकारी कीट, लीफ माइनर कैसे करें रोकथाम।
फल एवं सब्जियों में लगने वाला लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) कीट टमाटर, खीरा, ककड़ी, गेंदा, नींबू आदि फसलों को काफी नुकसान पहुंचाता है।
जिन फसलों पर इस कीट का आक्रमण होता है उस फसल की पत्तियों पर टेढ़े-मेढ़े सफेद रंग की धारियां बनी हुई दिखाई देती है। यह कीट पत्तियों के अंदर सुरंग बनाकर रहते हैं। अगर इस कीट की पहचान कर समय पर इसका प्रबंधन नहीं कर पाएं तो यह कीट फसलों के उत्पादन को 60 प्रतिशत तक घटा देते हैं।
लीफ माइनर बहुत ही छोटे कीट होते हैं। इस कीट के संक्रमण से पौधों की पत्तियां एवं पौधे बीमार से दिखने लगते है। यह कीट पत्तियों के अंदर रहकर पत्तियों को अंदर ही अंदर हानि पहुंचाते का काम करते हैं। लीफ माइनर कीट का प्रकोप अक्सर फसलों की कोमल पत्तियों पर होता है। इस कीट के प्रकोप से पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित हो जाती हैं जिसका सीधा असर पौधों के विकास पर पड़ने लगता है तथा समय पर प्रबंधन न किए जाने की स्थिति में पौधे सूख जाते हैं।
यह भी पढ़ें - कद्दू का लाल भृंग कीट का उपचार जैविक व रासायनिक विधि से कैसे करें।
लीफ माइनर कीट से फसलों को बचाने के लिए कीट के शुरुआती प्रकोप में ही संक्रमित पत्तियों को तोड़कर निकाल दें व नष्ट करदें। इसके बाद भी यदि इस कीट का प्रकोप दिखाई देता है तो तीन एमएल नीम के तेल को प्रति लीटर पानी में घोलकर 10 दिनों के अंतराल पर फसलों पर छिड़काव करें घोल में कुछ बूंदें डिटर्जेन्ट भी मिला लें।
पीले रंग का स्टिकी ट्रैप लगा कर करें प्रबंधन
प्रति नाली पीले रंग के पांच स्टिकी ट्रैप लगाकर इस कीट को नियंत्रित कर सकते हैं। ट्रैप लगाने से वयस्क कीट यानी मक्खियां ट्रैप की ओर आकर्षित होती है तथा ट्रैप में जाकर फंस जाती हैं। बाद में किसान इस ट्रैप में फंसे हुए मक्खियों को मार दें।
रासायनिक प्रबंधन के लिए डाइमेथोएट 30 ईसी या क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी दवा का एक एमएल मात्रा प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर संक्रमित पौधों पर छिड़काव कर सकते हैं।
लीफ माइनर कीट का जीवन चक्र
इस कीट का जीवन चक्र मादा मक्खियों द्वारा चलता है। मादा मक्खी पौधों की पत्तियों की कोशिकाओं के अंदर ही अंडे देती है। अंडे देने के 2 से 3 दिनों के अंदर ही ये अंडे प्रस्फुटित होना शुरू हो जाते हैं। जब अंडे पूरी तरह से फूट जाते हैं तब इनमें से निकली छोटी-छोटी इल्लियों पत्तियों के अंदर सुरंग बनाकर पत्तियों के अंदर मौजूद हरे पदार्थों को खाना शुरू कर देती हैं। ये इल्लियां हरित पदार्थ को अंदर ही अंदर खाते हुए पलती और बढ़ती रहती हैं। अगर पत्तियों को तोड़कर देखा जाय तो यह पीले काले रंग की दिखाई देती हैं। इस कीट का जीवन चक्र तेज चलता है , एक बर्ष में इस कीट की कई पीढ़ियां अनगिनत संख्या के साथ आगे बढ़ जाती हैं।
यह भी पढ़ें - मल्चिंग या पलवार कितने प्रकार की होती है व मल्चिंग/पलवार के क्या लाभ होते हैं।